Today we have provided a complete Bajrang Baan PDF / Bajrang Baan PDF in Hindi (Bajrang Baan PDF in Hindi) for your use so that you can easily recite Bajrang Baan. By reciting Bajrang Bali Shri Hanuman, the seeker becomes free from all kinds of worries and suffering.
Bajrang Baan :सबसे प्रसिद्ध हनुमान-संबंधी भक्ति स्तोत्र को बजरंग बाण कहा जाता है। ज्यादातर अवसरों पर और त्योहारों पर भगवान हनुमान का सम्मान करते हुए, यह प्रसिद्ध भजन गाया जाता है। इसकी संरचना हनुमान चालीसा की याद दिलाती है। बजरंग बली का बाण, जिसे भगवान हनुमान भी कहा जाता है, बजरंग बाण का शाब्दिक अर्थ है।

बजरंग बाण पाठ लिरिक्स अर्थ सहित – Bajrang Baan Lyrics with Meaning in Hindi
Bajrang Baan PDF in Hindi:दोस्तों, हमने आज आपके उपयोग के लिए पूरी बजरंग बाण पीडीएफ / बजरंग बाण पीडीएफ हिंदी (Bajrang Baan PDF in Hindi)में प्रदान की है, जिससे आप आसानी से बजरंग बाण का पाठ कर सकते हैं। बजरंग बली श्री हनुमान का पाठ करने से साधक सभी प्रकार की चिंताओं और कष्टों से मुक्त हो जाते हैं।
जब बजरंग बाण का पाठ श्री हनुमान चालीसा के साथ किया जाता है तो बजरंग बली के भक्तों को अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है, जिसे कुछ लोग बजरंग बली को प्रसन्न करने के लिए दोहराते हैं। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप जल्दी से बजरंग बाण को PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर पाएंगे(Bajrang Baan Lyrics with Meaning in Hindi)।
हिंदू पौराणिक कथाओं में, भगवान हनुमान शक्ति, भक्ति और सुरक्षा के प्रतीक के रूप में पूजनीय हैं। भक्त अक्सर उनका आशीर्वाद लेने और उनकी दिव्य शक्तियों का आह्वान करने के लिए प्रार्थना और भजन गाते हैं। ऐसी ही एक शक्तिशाली प्रार्थना है “बजरंग बाण।” इस लेख में, हम बजरंग बाण के जाप के महत्व, अर्थ और लाभों के साथ-साथ प्रार्थना करने के लिए चरण-दर-चरण निर्देशों का पता लगाएंगे।
बजरंग बाण के पाठ को दोहराने के लिए उसके दृष्टिकोण, दिशा-निर्देशों और सुरक्षा उपायों को समझना महत्वपूर्ण है। बजरंग बाण का पाठ हमेशा मंगलवार को शुरू करना चाहिए। हनुमान जयंती का त्यौहार चैत्र पूर्णिमा को पूरे उत्तर भारत में, या कम से कम उत्तर भारतीय क्षेत्रों के अधिकांश हिस्सों में मनाया जाता है। बजरंगबली की अनुपम कृपा प्राप्त करने के लिए हमें श्री हनुमान तांडव स्तोत्र का पाठ करते समय पूरी स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए। श्री हनुमान रक्षा स्तोत्र का जाप करने वालों को श्री हनुमान जी और भगवान श्री राम जी की कृपा भी प्राप्त होती है।
उनके 108 नामों को जपने से भक्त आसानी से हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को निर्दोष बना सकते हैं। तुलसीदास जी की हनुमान साथिका उनकी सबसे महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक है। ऐसा करने से हनुमान जी शीघ्र कृपा करते हैं। इस अद्भुत और मनमोहक आरती के गायन से हनुमत वंदना का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
आरती करते समय कुछ विशेष बातों पर ध्यान देना जरूरी है। उदाहरण के लिए हनुमान जी के सामने खड़े होने की बजाय उनकी दाहिनी ओर खड़े होकर आरती करें। इसके अलावा बजरंग बाण और हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी हम पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हनुमान चालीसा आरती आयोजित करने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।
।। दोहा ।।
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करें सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान।।
अर्थ: जो भक्त अपने ह्रदय में आपके प्रति पूरी श्रद्धा व प्रेम भाव सहित संकल्प के साथ आपसे प्रार्थना करते है।
हे हनुमान जी, आप अपने सभी भक्तों के सकल कार्यों को शुभदायक और सफल करते हैं।
।। चौपाई ।।
जय हनुमंत संत हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
जन के काज विलम्ब न कीजे, आतुर दौरि महासुख दीजै ।
जैसे कूदि सिंधु बही पारा, सुरसा बदन पैठि बिस्तारा ।
आगे जाइ लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुर लोका ।
अर्थ: हे संतों का हित करने वाले हनुमान जी, आपकी सदा ही जय हो, हे प्रभु, हमारी प्रार्थना को सुन लीजिये।
हे पवनपुत्र, बिना किसी विलम्ब के भक्तजनो के कार्यों को करे। जल्दी से आप आकर हमे महा सुख प्रदान कीजिये।
हे बजरंग बलि जिस प्रकार आपने कूद कर समुद्र को पार किया था। सुरसा जैसी विशालकाय राक्षसी के शरीर में प्रवेश कर भी आप सकुशल लौट आये थे।
जब लंका के द्वार पर लंका की प्रहरी लंकिनी ने आपको रोका, तो लात मार कर आपने उसे सुरलोक पंहुचा दिया।
जाये विभीषण को सुख दीन्हा, सीता निरखि परम पद लीन्हा ।
बाग़ उजारि सिंधु मह बोरा, अति आतुर यम कातर तोरा ।
अक्षय कुमार को मारि संहारा, लूम लपेटि लंक को जारा ।
लाह समान लंक जरि गई, जय जय धुनि सुर पुर मह भई ।
अर्थ: लंका में विभीषण के मिलकर आपने उनको असीम सुख दिया। सीता माता को ढूंढ़कर उनके आशीर्वाद फलस्वरूप आपको परम पद की प्राप्ति हुई।
आपने सारी अशोक वाटिका को उजाड़ कर आपने समुद्र में डूबा डाला और रावण के सैनिकों के लिए यम के दूत बन गए।
क्षण में ही आपने रावणपुत्र अक्षय कुमार को मार कर उसका संहार कर दिया। आपने अपनी पूंछ से पूरी की पूरी लंका नगरी को जला डाला।
लंकानगरी लाह के समान धू-धू कर जल गयी। पूरे देवलोक में आपकी जय जयकार होने लगी।
अब बिलम्ब केहि कारण स्वामी, कृपा करहु उर अंतर्यामी ।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता, आतुर होइ दु:ख करहुँ निपाता ।
जय गिरिधर जय जय सुख सागर, सुरसमूह समरथ भटनागर ।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले, बैरहि मारु बज्र की कीले ।
अर्थ: हे स्वामी मुझ दास के कार्य सवारने में आप किस कारण देरी कर रहे हैं, हे अंतर्यामी प्रभु मुझ पर कृपा कीजिये।
हे हनुमान जी आपकी जय हो, जैसे आपने लक्ष्मण जी के प्राण की रक्षा की थी। उसी प्रकार आप मुझ आतुर के दुःखो का निवारण कीजिये।
हे पहाड़ को उठाने वाले, सुख के सागर बजरंग बलि आपकी जय हो। आप में अनेको देवताओं के बराबर शक्ति व् सामर्थ्य है।
हे हनुमान जी आप भक्तों की रक्षा के लिए ढृढ प्रतिज्ञ है। अपने वज्र से मेरे शत्रुओं पर प्रहार कर मुझे बचाइए मुझ पर कृपा कीजिये।
गदा बज्र लै बैरहि मारो, महाराज प्रभु दास उबारो ।
ॐ कार हुंकार महावीर धावो, बज्र गदा हाउ विलम्ब न लावो ।
ॐ ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा, ॐ हूं हूं हूं हनु अरिउर शीशा ।
सत्य होउ हरि सपथ पायके, रामदूत धरु मारु धाय के ।
अर्थ: हे प्रभु, अपनी वज्र की गदा ले मेरे शत्रुओ का संहार करो। हे बजरंग बलि महाराज प्रभु मुझ दास को विपत्तियों से छुटकारा दिलाइए ।
हे महाप्रभु, आप ओंकार की हुंकार भरकर मेरे कष्टों पर धावा बोल दीजिये और बिना विलम्ब किए अपनी गदा से प्रहार कर उन्हें समाप्त कर दीजिये ।
हे वानरों के स्वामी, हे शक्तिमान परमेश्वर बजरंग बलि हनुमान, मेरे दुश्मनों के ह्रदय व् शीश धड़ से अलग कर दीजिये ।
हे बजरंग बलि, आपको प्रभु श्री राम की शपथ है, मेरी विनय को स्वीकार कीजिये। हे रामदूत मेरे शत्रुओ का विनाश कर दीजिये।
जय जय जय हनुमंत अगाधा, दुःख पावत जन केहि अपराधा ।
पूजा जप तप नेम अचारा, नहि जानत कछु दास तुम्हारा ।
बन उपवन मग गिरि गृह माही, तुमरे बल हम डरपत नाही ।
पाय परों कर जोरि मानवो, यह अवसर अब केहि गेहरावो ।
अर्थ: हे असीम शक्तियों के स्वामी बजरंग बलि, मैं अपने ह्रदय की अथाह गहराइयों से आपकी सदा जय जयकार करता हूं। प्रभु आप के होते हुए मुझ सेवक को किस अपराधों के कारण दुःख मिल रहा हैं।
हे कृपा निधान, आपका यह दास पूजा, जप, तप के नियम और आचार कुछ भी नहीं जानता है।
आपके बल के संरक्षण में रहकर आपके भक्तो को जंगल, उपवन, मार्ग, पर्वत या फिर चाहे घर हो कहीं भी भय नहीं लगता है।
हे प्रभु मैं आपके चरणों में दंडवत प्रणाम कर, हाथ जोड़कर आपसे अपनी विपत्ति कह रहा हूँ। आपके सिवा भला और कौन है जिससे मै अपनी रक्षा की गुहार लगाऊं।
(Bajrang Baan PDF)
जय अंजनि कुमार बलवंता, शंकर सुवन धीर हनुमंता ।
बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रति पालक ।
भूत प्रेत पिसाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर ।
इन्हे मारुं तोहि सपथ राम की, राख नाथ मर्यादा नाम की ।
अर्थ: हे अंजनी पुत्र, हे अतुलित बल के स्वामी, आपकी सदा ही जय हो। हे भगवान शंकर के अंश, कृपया मेरी रक्षा कीजिये।
हे बजरंग बलि, आपका बदन विशाल है आप साक्षात काल का भी काल है। आप भगवान श्री राम के सहायक है दीन-दुखियों का पालन करते है।
भूत, प्रेत, पिशाच, बेताल व रात् में घूमने वाली दुष्ट आत्माओं को आप अपनी नेत्र की अग्नि से भस्म कर देते हैं।
हे बजरंग बलि, आपको प्रभु श्री राम की शपथ है, इन दुष्टो का संघार कीजिये और हे नाथ अपने नाम की प्रतिष्ठा रखिये।
जनक सुता हरि दास कहावो, ताकि शपथ बिलम्ब न लावो ।
जय जय जय धुनि होत अकाशा, सुमिरत होत दु:सह दुःख नाशा ।
चरण शरण करि जोरि मानवो, यही अवसर अब केहि गोहरावौं ।
उठु उठु चलु तोहि राम दोहाई, पाँय परों कर जोरि मनाई ।
अर्थ: आप माता सीता व् श्री राम के सेवक हैं आपको उनकी सौगंध हैं, अपने इस दास की विपत्ति का शीघ्र निवारण कीजिये।
हे पवनपुत्र, आपके जय जयकार की ध्वनी सदा ही आकाश में गूंजती रहती है। आपके स्मरण मात्र से ही दारुण दुखो का भी पूरी तरह से नाश हो जाता है।
आपके चरणों में शरण लेकर आपसे हाथ जोड़कर विनती करता हूँ, हे प्रभु मेरा पथ-प्रदर्शन करें, आपके अलावा मैं किसे पुकारूँ।
आपको भगवान श्री राम की सौगंध है कृपया उठकर चले आइये। मै आपके पांव पकड़कर व् हाथ जोड़कर अपनी विपत्तियों को समाप्त करने की प्रार्थना कर रहा हूँ ।
ॐ चं चं चं चंपल चलन्ता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।
ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहम पराने खल दल ।
अपने जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो ।
यहि बजरंग बाण जेहि मारे, ताहि कहो फिरी कौन उबारो ।
अर्थ: हे वायु के वेग समान गति वाले और अत्यंत फुर्तीले पवनपुत्र, मुझ पर कृपा कीजिये और मेरी विपत्तियों का नाश कर दीजिये।
हे बिजली समान तेज वानर राज, आपकी हुंकार भरने से दुष्ट व् राक्षस सहम हो इस प्रकार लुप्त हो जाते है जैसे सूर्योदय होने से अंधकार लुप्त हो जाता है।
हे प्रभु हनुमान जी, हम भक्तजनों को सभी विपत्तियों से तुरंत उबार हमारे मन को शांत कीजिये। जिससे हम आपका सुमिरन कर हमें परम आनंद प्राप्त हो।
यह बजरंग बाण जिसे मार दिया जाय तो फिर तीनो लोको मे ऐसा कौन है जो उसको उबार सके।
पाठ करें बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करें प्राण की ।
यह बजरंग बाण जो जापै, तेहिते भूत प्रेत सब कापें ।
धुप देय अरु जपे हमेशा, ताके तन नहि रहें कलेशा ।
अर्थ: जो समर्पण भाव से इस बजरंग बाण का नियमित रूप से पाठ करते है, उनके प्राणों की रक्षा स्वयं हनुमान जी करते हैं।
जो भक्त इस बजरंग बाण पाठ का जप करते है। भूत-प्रेत उनके पास फटकने का सोचकर ही डरकर कांपने लगते हैं।
जो भक्त हनुमान जी की धूप-दीप आदि देकर बजरंग बाण पाठ का जाप करते है, उनके शरीर में कोई भी रोग-क्लेश नहीं रह जाता है।
(Bajrang Baan PDF)
।। दोहा ।।
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजे, सदा धरें उर धयान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्धि करें हनुमान।
अर्थ: जो व्यक्ति प्रेमपूर्वक कपिराज हनुमान जी को भजन करते है। सदा ही अपने ह्रदय में उनका ध्यान करते है।
हनुमान जी उनके सर्वकार्यों को शुभता के साथ सम्पूर्ण करते है, सर्वकामनाओ को सिद्ध करते हैं।
।। इति श्री बजरंग बाण समाप्त: ।।
बजरंग बाण को समझना
बजरंग बाण अवधी भाषा में संत तुलसीदास द्वारा रचित एक भक्ति स्तोत्र है। यह भगवान हनुमान से भक्त की सहायता के लिए आने और सभी खतरों और विपत्तियों से सुरक्षा प्रदान करने की प्रार्थना के रूप में लिखा गया है। प्रार्थना में हनुमान की वीरता, दैवीय गुणों और बुरी शक्तियों को नष्ट करने की उनकी क्षमता की प्रशंसा करने वाले छंद शामिल हैं।
कैसे करें बजरंग बाण का जाप
बजरंग बाण का जाप करने के लिए व्यक्ति को ध्यान के अनुकूल शांत और साफ जगह ढूंढनी चाहिए। भक्त एक दीया (दीपक) जला सकते हैं और भगवान हनुमान की एक छवि या मूर्ति को फूल चढ़ा सकते हैं। प्रार्थना करते समय अनुशासित और केंद्रित मानसिकता बनाए रखने की सिफारिश की जाती है। भक्त को बजरंग बाण का जाप अत्यंत भक्ति और ईमानदारी के साथ करना चाहिए, प्रत्येक शब्द और उसके अर्थ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
बजरंग बाण PDF डाउनलोड लिंक – Bajrang Baan PDF in Hindi Download Link
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बजरंग बाण का पाठ करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
बजरंग बाण का पाठ दिन में किसी भी समय किया जा सकता है। हालाँकि, इसका जाप सुबह के समय करना शुभ माना जाता है, अधिमानतः सूर्योदय से पहले। इस समय को ब्रह्म मुहूर्त के रूप में जाना जाता है, इसे आध्यात्मिक रूप से आवेशित और दिव्य ऊर्जाओं से जुड़ने के लिए आदर्श माना जाता है।
क्या कोई बजरंग बाण का जाप कर सकता है ?
हां, बजरंग बाण का जाप कोई भी कर सकता है। यह किसी विशेष जाति, लिंग या आयु वर्ग तक सीमित नहीं है। प्रार्थना उन सभी के लिए खुली है जो भगवान हनुमान का आशीर्वाद और सुरक्षा चाहते हैं। चाहे आप चुनौतियों का सामना कर रहे हों, साहस की तलाश कर रहे हों, या आध्यात्मिक विकास की इच्छा रखते हों, आप भक्ति और विश्वास के साथ बजरंग बाण का जाप कर सकते हैं।
बजरंग बाण का जाप कितनी बार करना चाहिए ?
बजरंग बाण का जप कितनी बार करना चाहिए यह व्यक्तिगत पसंद और परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। आम तौर पर इसे 11 बार या 11 के गुणकों जैसे 33, 54, या 108 के रूप में जप करने की सिफारिश की जाती है। हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण पहलू ईमानदारी और ध्यान है जिसके साथ प्रार्थना की विशिष्ट संख्या के बजाय पुनरावृत्ति की जाती है।
क्या बजरंग बाण का जाप करते समय किसी विशेष नियम का पालन करना चाहिए?
जबकि कोई सख्त नियम नहीं हैं, बजरंग बाण का जाप करते समय कुछ दिशानिर्देशों का पालन करने की सलाह दी जाती है। विकर्षणों से मुक्त स्वच्छ और शांत वातावरण बनाए रखें। एक साफ चटाई या गलीचा पर बैठने और भगवान हनुमान की मूर्ति या छवि का सामना करने की सलाह दी जाती है। पाठ की अवधि के दौरान शाकाहारी भोजन और शराब से परहेज करना भी फायदेमंद माना जाता है।
क्या बजरंग बाण का अर्थ समझना आवश्यक है?
जबकि बजरंग बाण में प्रत्येक शब्द के सटीक अर्थ को समझना अनिवार्य नहीं है, प्रार्थना के महत्व की सामान्य समझ होना फायदेमंद है। छंदों के सार को जानने से समग्र अनुभव में वृद्धि होती है और भगवान हनुमान के साथ गहरा संबंध स्थापित करने में मदद मिलती है। प्रार्थना के सार को समझने के लिए एक अनुवादित संस्करण को पढ़ने या आध्यात्मिक मार्गदर्शक से परामर्श करने पर विचार करें।
याद रखें, बजरंग बाण का जाप ईमानदारी, भक्ति और विश्वास के साथ करने से आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है, सुरक्षा प्रदान कर सकता है और भगवान हनुमान के साथ आपका आध्यात्मिक संबंध मजबूत हो सकता है।